आगर जिला चिकित्सालय की लापरवाही

आगर जिला चिकित्सालय की लापरवाही

आगर मालवा-राज्य शासन यूॅ तो प्रदेश के जिला चिकित्सालयो में कई प्रकार की चिकित्सीय सुविधाए उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है ताकि गरीब मरीजो को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो सके । 

पर राज्य शासन के इस प्रयास पर जिला चिकित्सालय प्रशासन कभी तकनिकी खराबी के कारण या कभी स्टाफ की कमी का कहकर किस तरह से पानी फेर देते है उसका यदि उदाहरण देखना हो तो आगर जिला चिकित्सालय में देखा जा सकता है । 
जी हॉं आगर जिला चिकित्सालय को सौगात के रूप में मिली डिजीटल एक्सरे सुविधा पिछले दस दिनो से बंद है और इस कारण एक्स-रे कराने के लिए मरीजो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है । ऐसे में जो सक्षम है वो तो इस जिला चिकित्सालय के आस पास ही स्थिती कई प्रायवेट एक्स-रे मशीन पर जा कर 300 से 500 रू. तक का भुगतान कर अपना एक्स-रे करवा रहे है पर एैसे भी कई गरीब मरीज है जो रूपये ना होने के कारण जिला अस्पताल में स्थित इस एक्स-रे मशीन के चालू होने के इंतजार में रोज यहॉं आते है और शाम को फिर वापस चले जाते है । इस बीच उनका मर्ज कितना गंभीर हो गया है ये तो बस ईश्वर ही जानता है।    
हम आपको यह भी बता दे कि आगर मालवा जिले में यही एक मात्र डिजीटर एक्स-रे मशीन है साथ ही सुसनेर एवं नलखेडा स्वास्थ केंद्र में तो कोई एक्स-रे मशीन ही नहीं है वहीं बडोद स्वास्थ केंद्र की मशनी काफी पूरानी होने के कारण वहॉं के भी मरीज यहीं जिला चिकित्सालय आकर अपना एक्स-रे कराना बेहतर समझते है । एैसी परिस्थितियोॅं में पूरे जिले के मरीज जिनको एक्स-रे कराना हो उनके लिए यहीं मशीन एक मात्र आशा कि किरण है इसके बाद भी इसका इस तरह बंद होना जिम्मेदारो की लापरवाही दर्शाता है । 
एक्स-रे मशीन के इतने दिनो से बंद होने के बारे में जब जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन एस. के. परमार से जानकारी ली गई तो उन्होने बताया कि लेब के टेक्नीशियन की पत्नी की तबीयत खराब होने के कारण वह अवकाश पर गया है और किसी अन्य टेकनीशियन की उपलब्धता ना होने के कारण यह डिजिटल एक्स रे मशीन बंद है जिसे कल ही प्रारंभ करवा दिया जाएगा । 
एैसा नहीं है कि इस तरह कि समस्या पहली बार ही आई है । आए दिन इस तरह कि समस्याऔ का सामना मरीजो को करना पड़ता है कभी मशीनो में तकनीकी खराबी के चलते या कभी स्टाफ की कमी के कारण ये समस्या आती रहती है । 
कुछ लोग तो यहॉं तक आरोप लगाते है कि स्वास्थ सेवाओं के नाम पर आस पास खुले निजी संस्थानों को लाभ पहूॅचाने के लिए भी कई बार जानबूझ कर इस तरह की परिस्थितीयॉं जिम्मेदारो द्वारा निर्मित कर दी जाती है।
यदि एैसा है तो यह अतयन्त दुर्भाग्यपूर्ण है और तब शासन को चाहीए कि जब वह इतनी सुविधाए जिला चिकित्सालयो को उपलब्ध करा रहे है तब उनके द्वारा यह भी व्यवस्था की जाना चाहीए कि उपरोक्त कारणो से इन सुविधाऔ की सेवा में कोई अवरोध उत्पन्न ना हो ताकि जरुरत मंदो को वास्तविकता में इसका सही लाभ मिल सके ।