पत्रकार की कलम समाज को दिशा देती है

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पत्रकार की कलम समाज को दिशा देती है

गृह मंत्री श्री गौर का सप्रे संग्रहालय द्वारा स्थापित राज्य-स्तरीय पुरस्कार वितरण समारोह में संबोधन
गृह मंत्री श्री बाबूलाल गौर ने कहा कि पत्रकार की कलम समाज को दिशा देती है। आम लोगों के हितों के संरक्षण में पत्रकार की लेखनी सशक्त भूमिका निभा सकती है। श्री गौर आज सप्रे संग्रहालय द्वारा स्थापित राज्य-स्तरीय पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व मंत्री श्री सत्यनारायण शर्मा ने की। श्री गौर ने पत्रकारिता से जुड़े अनुभव साझा किये। उन्होंने सम्मानित पत्रकारों को बधाई और शुभकामनाएँ दीं। श्री गौर ने पत्रकारों एवं अपर संचालक जनसंपर्क को प्रशस्ति पत्र, शाल और कलम भेंट कर सम्मानित किया गया।
‘संतोष कुमार शुक्ल लोक संप्रेषण पुरस्कार’ – श्री सुरेश गुप्ता, अपर संचालक जनसंपर्क; माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार – पत्रिका के संपादक श्री आलोक मिश्र; लाल बलदेव सिंह पुरस्कार- ‘हरिभूमि’ के संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी को दिया गया। जगदीशप्रसाद चतुर्वेदी पुरस्कार- श्री अनिल गुप्ता, विशेष संवाददाता दैनिक भास्कर, रामेश्वर गुरु पुरस्कार- श्री राजीव सोनी, विशेष संवाददाता नवदुनिया, झाबरमल्ल शर्मा पुरस्कार- श्री शरद द्विवेदी, चैनल हेड बंसल न्यूज और के.पी. नारायणन पुरस्कार- श्री राहुल नरोन्हा, विशेष संवाददाता हिन्दुस्तान टाइम्स (2015) एवं श्री गौरव चन्द्रा, ब्यूरो चीफ ‘स्टेट्स मेन’ (2016) को प्रदान किया गया। राजेन्द्र नूतन पुरस्कार- श्री धर्मेन्द्र पैगवार, विशेष संवाददाता डी.बी. पोस्ट; यशवंत अरगरे पुरस्कार- श्री आरिफ मिर्जा, स्तंभकार प्रदेश टुडे, आरोग्य सुधा पुरस्कार- सुश्री स्नेहा खरे, संवाददाता पीपुल्स समाचार, जगत पाठक पुरस्कार- श्री अशोक गौतम, दैनिक जागरण और होमई व्यारावाला पुरस्कार- श्री शान बहादुर, फोटो जर्नलिस्ट दैनिक भास्कर को दिया गया। वेटेरन जर्नलिस्ट फेडरेशन द्वारा प्रवर्तित हुकुमचंद नारद पुरस्कार- श्री श्याम कटारे एवं श्री महेश महदेल, जबलपुर, श्री राकेश अचल, ग्वालियर, श्री जयराम शुक्ल, रीवा-भोपाल तथा श्री मलय श्रीवास्तव एवं श्री पुष्पराज पुरोहित, भोपाल को प्रदान किया गया।
मूर्धन्य संपादक में मुखर हुए भारतीय नवजागरण और कलम के योद्धा
कार्यक्रम में स्व. श्री संतोष कुमार शुक्ल के शोध ग्रंथ ‘मूर्धन्य संपादक’ का विमोचन वरिष्ठ पत्रकार श्री महेश श्रीवास्तव एवं श्री रमेश नैयर ने किया। श्री श्रीवास्तव ने मूर्धन्य संपादक की विषय-वस्तु की विवेचना की। श्री नैयर ने श्री शुक्ल के व्यक्तित्व के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला।
‘मूर्धन्य संपादक’ ग्रंथ में 56 युग निर्माता संपादक के जीवन चरित का विवेचन कर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित किया गया है।
प्रस्तावना वक्तव्य संग्रहालय के संस्थापक-संयोजक श्री विजयदत्त श्रीधर ने दिया। अतिथियों का स्वागत तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्थान के अध्यक्ष डॉ. राकेश पाठक ने किया।