बेटे को कंपनी सौंपने के बाद पाई-पाई को मोहताज हैं रेमंड के पूर्व चेयरमैन विजयपत सिंघानिया

बेटे को कंपनी सौंपने के बाद पाई-पाई को मोहताज हैं रेमंड के पूर्व चेयरमैन विजयपत सिंघानिया

रेमंड कंपनी के संस्थापक और पद्म भूषण विजयपत सिंघानिया को सीने में तेज दर्द की शिकायत के बाद ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों ने कहा है कि सिंघानिया की स्थिति सामान्य नहीं थी और उन्हें तुरंत मेडिकल सहायता की जरूरत थी। सिंघानिया ने पिछले साल मार्च में लंदन में कोरोनरी बाईपास सर्जरी करायी थी। करीब एक हफ्ते पहले ही करीब 10 अरब मूल्य वाली रेमंड कंपनी अपने बेटे के नाम कर देने वाले सिंघानिया ने बॉम्बे हाई कोर्ट में गुहार लगायी थी कि उनके बेटे ने उन्हें पाई-पाई के लिए मोहताज कर दिया है। सिंघानिया इस साल अक्टूबर में 79 साल के हो जाएंगे। गुरुवार को जब सिंघानिया साउथ मुंबई कल्ब में थे तो शाम को साढ़े छह बजे के करीब उन्हें अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें 48 घंटे चिकत्सकीय निगरानी में रहने की सलाह दी क्योकि उनका रक्त चाप सामान्य से ज्यादा था।

विजयपत सिंघानिया के वकील ने हाई कोर्ट में दी अर्जी में कहा है कि उन्होंने रेमंड कंपनी के करीब एक हजार करोड़ रुपये कीमत के शेयर अपने बेटे गौतम सिंघानिया के नाम कर दिये थे लेकिन उनका बेटे ने उन्हें भुखमरी के हालत में पहुंचा दिया है। विजयपत सिंघानिया के वकील दिनयार मदान के अनुसार गौतम सिंघानिया विजयपत सिंघानिया से हर चीज छिनने की कोशिश कर रहे हैं। वकील मदान के अनुसार विजयपत सिंघानिया से कार और ड्राइवर तक छीन लिए गए हैं। मामले के सामने आने के बाद गौतम सिंघानिया ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में कहा कि जो दरख्त झुकते नहीं वो टूट जाते हैं। गौतम सिंघानिया ने कहा जो लोग खुद में बदलाव नहीं लाते वो जिंदगी में पीछे छू जाते हैं और अलग-थलग पड़ जाते हैं। हालांकि गौतम ने सीधे-सीधे इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की।


रेमंड कपड़ा उद्योग की देश की सबसे बड़ी कंपनियों में एक है। देश के लगभग हर प्रमुख शहर में रेमंड के शोरूम हैं। विजयपत सिंघानिया कारोबार के अलावा एविएशन में भी गहरी रुचि रखते हैं। वो 67 साल की उम्र में हॉट बैलून में उड़ान भरके सबसे अधिक उम्र में ऐसा करने का विश्व रिकॉर्ड बना चुके हैं। चार अक्टबूर 1938 को कानपुर में जन्मे विजयपत सिंघानिया मुंबई के शेरिफ भी रह चुके हैं। आईआईएम अहमदाबाद के गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन भी रह चुके हैं। भारतीय वायुसेना ने उन्हें एयर कमॉडोर की मानद उपाधि दी है। वो ब्रिटेन के रॉयल एयरो क्लब के सदस्य हैं।